Gehraiyaan Movie Review Deepika padukone Impress but film did not go that much deep in you noddv
दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone), अनन्या पांडे (Ananya Pandey), सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) और धैर्य करवा (Dhairya Karwa) की फिल्म ‘गहराइयां’ (Gehraiyaan) अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुकी है. निर्देशक शुकन बत्रा की ये फिल्म रिश्तों की उलझी गुत्थी और उनके ऊपरी ढांचे से ज्यादा उसके अंदर की गहराइयों की बात करती है. हालांकि चार जिंदगियों के बीच उलझते-बुनते नए रिश्तों में आप कितना सही और गलत ढूंढ पाते हैं ये आपके ऊपर है. इस फिल्म के ट्रेलर ने काफी एक्साइटमेंट बढ़ा दिया था और तभी से तुलना होने लगी थी कि क्या शुकुन बत्रा एक बार फिर ‘कपूर ऐंड सन्स’ जैसा शानदार सिनेमेटिक एक्सपीरंस दे पाएंगे … अगर आप भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं तो आपको ये रिव्यू (Gehraiyaan Movie Review) पढ़ना चाहिए ..
चार लोगों के उलझे रिश्तों की कहानी
‘गहराइयां’ कहानी है योगा टीचर अलीशा (दीपिका पादुकोण) की जो मुंबई में अपने बॉयफ्रेंड करण (धैर्य करवा) के साथ रहती हैं. दीपिका अपनी एप के सफल होने की कोशिश में लगी हैं तो वहीं करण एक राइटर हैं जिनकी किताब पूरी नहीं हो रही है. अलीशा की कजिन है टिया (अनन्या पांडे) जो अमेरिका से अपने बॉयफ्रेंड जेन (सिद्धांत चतुर्वेदी) के साथ मुंबई आई हैं. अलीशा और टिया का बचपन साथ बीता है लेकिन फिर अलीशा के पिता मुंबई छोड़ नासिक चले जाते हैं और अलीशा मिडिल क्लास रह जाती है. वहीं अब टिया की जिंदगी अलीशा से बेहद अलग है और वो काफी अमीर है. ये चारों अलीबाग के ट्रिप पर जाते हैं और जेन, अलीशा से फ्लर्ट करने लगता है और फिर बिगड़ने लगता है रिश्तों का समीकरण.
खूबसूरत लोकेशन्सपरब्यूटीफुलदीपिथपि
कहानी की अच्छी चीजों की बात करें तो वह हैं खूबसूरत लोकेशन्स और बेहद खूबसूरत नजर आतीं दीपिका पादुकोण. खूबसूरती के साथ ही दीपिका ने हर इमोशन को बखूबी पर्दे पर निकाला है. चाहे चिढ़ हो, दुख हो, डर या फिर प्यार … उनके चेहरे से आप सब जान जाएंगे. एक्टिंग के मामले में सिद्धांत चतुर्वेदी भी अच्छे रहे हैं और उनके किरदार के हर शेड को आप महसूस कर पाएंगे. अनन्या पांडे भी अपने किरदार में अच्छी लगी हैं या कहें कि अपने छोटे से करियर की ये उनकी पहली फिल्म होगी जिसमें वाइतनी कनेक्टिंग लगी हैं.
दीपिका पादुकोण इस फिल्म में 9 साल बाद बिकिनी पहने नजर आ रही हैं.
ग्रे शेड दिखाते-दिखाते पर्पलहो जाती ही
हिंदी फिल्मों में अक्सर हीरो-विलेन का कॉन्सेप्ट होता है और एक दर्शक के तौर पर आप ये अंतर साफ कर पाते हैं कि कौन सही है और कौन गलत. लेकिन जब बात रिश्तों की आती है जो चीजें ब्लैक या वाइट नहीं होतीं, बल्कि सबकुछ ग्रे होता है. शकुन बत्रा की कहानी भी इसी ग्रे पर फोकस करती है … लेकिन असल समस्या शुरू होती है जब कहानी इस ‘ग्रे’ को दिखाते-दिखाते पर्पल या ब्लू होने लगती है. इस फिल्म में भी यही हुआ है. इमोशन्स से भरी इस फिल्म के आखिर में आपको बस एक ही इमोशन फील होगा और वो है खालीपल … दरअसल मेरा साथ तो यही हुआ. समझ ही नहीं आया कि फिल्म खत्म होने के बाद आप किस किरदार के लिए ज्यादा दर्द या सहानुभूति महसूस कर रहे हैं, अलीशा, टिया , करण या जेन…
ये साफ है कि प्रमोशन में भले ही चारों एक्टर एक-साथ नजर आए हों लेकिन ये फिल्म पूरी तरह दीपिका पादुकोण की है, जिनके अपोजिट हैं सिद्धांत चतुर्वेदी. दीपिका पादुकोण के नजरिए से फिल्म की हर बात को रखा गया है और दीपिका अपने काम में जबरदस्त हैं. कैमरे पर वो इतनी नपी और सधी हुई एक्टिंग करती हैं कि आपको ये याद रखना बेहद मुश्किल होता है कि आप दीपिका पादुकोण को देख रहे हैं. लेकिन दिक्कत तब आती है जब आखिर में आप उनके किरदार के लिए भी सहानुभूति महसूस नहीं कर पाते. हालांकि हो सकता है आपको अनन्या पांडे के लिए ज्यादा कनेक्शन या दर्द महसूस हो क्योंकि उसके साथ तो हर जगह से ही धोखा हुआ है.
दीपिका पादुकोण की नेचुरल एक्टिंग आपका
आखिर में मैं बस यही कह सकते हैं कि ये फिल्म जितनी ‘गहराइयों’ तक जानी चाहिए थी, उतनी नहीं गई और काफी उथली बनकर रह गई है. मेरी तरफ से इस फिल्म को 2.5 स्टार. पॉइंट 5 एक्स्ट्रास्टारदीपिका पादुकोण
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | :: | |
स्क्रिनप्ल | :: | |
डायरेक्शन | :: | |
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